रविवार, 30 नवंबर 2008

भगवान आप के लिये कुछ सोच रहें हैं

आज मैंने प्रादेशिक समाचार में देखा कि यूपी के फतेहपुर जिले के किसी आदमी का रेल में सफर करते वक्त हाथ कट गया ।आप कहेंगे ऐसा तो होता रहता है इसे ब्लाग में लिखने की क्या आवश्यक्ता पड गई।
अरे भाई आगे तो सुनिये उस आदमी ने प्रकृति द्वारा किये गये इस अन्याय का सूद समेत बदला ले लिया।
उन्होंने हार नहीं मानी बल्कि बिना हाथ के ही साइकिल चलाना सिखा व साइकिल पर तरह तरह के करतब दिखाने लगे।
पहले उन्हें कोई नहीं जानता था अब उन्हें पूरा फतेहपुर क्या पूरा यूपी जानता है।
यदि आपकी जिन्दगी में दुख हो,अन्धेरा हो तो ध्यान दे शायद भगवान आप के लिये कुछ सोच रहें हैं।शायद वे आप से कुछ कराना चाहते हैं।

मरफी के नियम-२

माँ हमेशा कहती थी कि कठिन दौर जीवन में आयेगें मगर इतने सारे आयेगें ये उन्होंनेनहीं बताया था।

घर पर बाल पेन की उप्लब्धता उसकी आवश्यक्ता के विलोमानुपाती होती है।

हर आदमी के पास धनवान बनने की योजनायें होती हैं ये अलग बात है कि वे काम नहींकरती।

जानवरों से प्रेम करो क्योंकि वे स्वादिष्ट होते हैं।

पडोसियों से प्रेम करना चाहिये मगर कभी पकड़ा नहीं जाना चाहिये वरना बडी़ कुटाई होती है।

आप के सामने वाली लाईन ज्यादा तेज चलती है यदि आप लाईन बदल लेते हैं तो भी ये सही है।

प्यार और जुकाम में अन्तर सिर्फ इतना है कि जुकाम का अब वैक्सिन उपल्बध है।

प्यार में पडने से पहले अपना बैक अप बना लें रिकवरी में आसानी होगी।

प्रमेय-आप के पडो़स की लाईबरेरी में काम लायक एक भी कितब उपल्बध नहीं होती।

उपप्रमेय-आप के काम की किताबें दूर वाली लाईबरेरी में उप्लब्ध होती हैं।

मंगलवार, 25 नवंबर 2008

खुस होने के नियम

प्रकृति का नियम: जो चीज आप खुद प्राप्त करना चाहते हैं उसे दुसरों को प्राप्त करने में मदद करें,आप को वो चीज खुद मिल जायेगी।

आप खुस होना चाहते हैं तो दूसरों को खुस करें बस सीधा सा नियम है
नीचे कुछ कुस होने के तरीके दिए जा रहें आप को भी कुछ तरीके मालूम हो तो मुझे अवश्य बताएं
गली के सभी पिल्लों को नहला दें।
पाँच नये ब्लागरों को रोजना कमेन्ट दें।
ब्लाग लिखें।
किसी शापिंग माल में जाये, मंहगे कपड़े पहने,मोबाईल से फोटो खिंचे,खरिदी न करें।
स्कुल बस में बच्चों को देखकर हाथ हिलायें।
किसी रोते को हसाँये।
अपने लिये फूल खरीदें दुसरे को दें।
अपने आप को पत्र लिखें।
किसी दिन हर बात पर असहमत हों।
लिफ्ट में अकेले हों तो नाचें।
अपना कमरा साफ करें।
खुद मेहमान बनकर अपनी ही खातिरदारी करें।
किसी को प्रोत्शाहित करें।
किसी जानवर की फोटो लें,नीचे लिखे मिसिंग,लोगो से उसके बारे में पूछें।
कोई गाना लिखें व छत पर चिल्लाकर गायें।
गुल्ली डंडा खेलें।

आकर्षण का नियम-भाग एक

क्या आपके साथ ऐसा हुआ है कि दिन भर आप

कोइ गाना गुनगुना रहें हैं और जैसे ही साम को

आप अपना रेडियो खोलते हैं तो वही गाना रेडियो

पर आ रहा हो।मेरे साथ ऐसा कई बार हुआ है।

याद करिये जब आप छोटे थे और जब आप

क्रिकेट खेलते थे तो किसी महत्वपूर्ण मैच में

आप कुछ खास नहीं कर पाते थे।जबकि

प्रैक्टिस मैच में आप हरदम बढी़या खेलते थे।

जब आप स्कुल के दिनों में थे तो परीक्षक के सामने

आपकी कैसी घिग्घी बध जाती थीऔर आप उन प्रश्नों

के भी उत्तर नहीं बता पाते थे जो आप को अच्छे से याद होते थे।

क्या आपने ऐसा सोचा है कि ऐसा क्यों होता है?
अगली लाइन ध्यान से पढिये।
चाहे आप मुम्बई के हों चाहे बिहार के या
यूपी के या दिल्ली के या आप दुनिया
के किसी भी देश के हों।
हम सब एक ही नियम से काम कर रहें हैं।
उस नियम का नाम है "आकर्षण"
आप के जीवन में जो कुछ भी हो रहा
है आप उसे आकर्षित कर रहें हैं।
चाहे रेडिओ पर गाना बजना हो या मैच में
खराब प्रदर्शन या परीछक के सामने हडबडाना।
आप दिन भर गाने के बारे में सोचते हैं और साम को रेडियो पर उसे आकर्षित कर लेते हैं।
क्या परीछक के सामने जाने से पहले आप ये नहीं सोचते कि कहीं मै ठीक से उत्तर ना दे पाउँ और आप इसी को आकर्षित कर लेते हैं मैच में भी यही होता है।

"यदि आप वाकई कुछ चाहते हैं तो उसे प्राप्त करने की स्थितियाँ भी पैदा कर लेगे"

सोमवार, 24 नवंबर 2008

दो मिनट में मोटिवेट हों

जब आप थके हों
जब आप को लगे आप कुछ नहीं कर सकते
जब आप निराश हों
जब आप को लगे सारा सिस्टम ख़राब है
यह दो मिनट का विडियो देखें मेरा दावा है
इसे देखते ही आप मोटिवेट हो जायेंगे

रविवार, 23 नवंबर 2008

सफलता के चार नियम

कल मैने चेतन भगत की प्रसिद्ध किताब

one night @the call centreपढ़ी उसमें

मुझे भगवान का फोन करनाव सफलता के

चार नियम बताना सबसे अच्छा लगा।

चलिये वो नियम मै आपकोभी बताता हूँ।

पहला नियम-सफल होने के लिये मनुष्यमें थोडी़ बहुत बुद्धिमानी होनी चाहिये।

दूसरा नियम-मनुष्य में थोडी़ बहुत कल्पना-शक्ति होनी चाहिये।

तीसरा नियम-मनुष्य में आत्मविश्वास होना ही चाहिये।

चौथा नियम-चौथा नियम सुनकर सायद आपचौंक जाएँ।

चौथा नियम है असफलताआप जितने भी सफल
आदमियों
को जानतें होसबके बारे में विचार करें तो वे पहले

असफल हुयेफिर जा के सफल हुये।चाहे वे गाँधी जी हो,

अटल जीहों,कलाम जी हों,लिंकन हों,टाटा हों,बिल गेट्स

हों न्युटन हों आइनस्टीन हों या कोइ अन्य।

किसी ने ठीक ही कहा है

,"यदि आप सफल होना चाहते हैंतो अपनी असफलता की दर दुगनी कर दें"

जब तक आप असफल नहीं होगे तबतक आपकी

हँसी कैसेउडा़ई जायेगी ,आप गिरेंगे नहीं तो आप

का मजाक कैसे बनायाजायेगा,आप को नकारा कैसे

सिद्ध किया जा सकता है और जबतक ऐसा नहीं

होगा तब तक आप कैसे अपने आप को साबितकर

सकते हैं।आज हम लगभग जितनी भी अच्छे

वस्तुओं का उपयोग कर रहेंहैं वे दरसल ये

कुछ शुरू में हारे लोगों की सनक का नतीजा है।

ए सीक्रेट लेटर टू माईसेल्फ

ब्रूसली का नाम तो आपने सुना ही होगा।

एकबार उन्होंने खुद को एक पत्र

लिखा,"ए सीक्रेट लेटर टू माईसेल्फ"।

उसमेंउन्होंने आने वाले दस वर्षों में अपनी इच्छाओं का

का ब्योरा दिया तथा लिखा किआने वाले

दस वर्षों में वे दुनिया के सबसेलोकप्रिय अभिनेता बनेंगे।

इस पत्र को वे हमेशाअपने पास रखते थे।1973 में

फिल्म "एंटर द ड्रैगन"रिलीज हुई और वह

सबसे ज्यादा पारिश्रमिक पानेवाले नायकों

की सूची में आ गये।हालीवुड में इसपत्र को

आज भी सभांल कर रखा गया है।


ये हुई इनकी बात अब सफल होने कीबारी आपकी है
क्यों नहीं खुद को एक पत्रलिखा जाय।
नया साल आने वाला है क्योंना नये साल में हम कुछ नया करें।
आप आने वाले साल में क्या पाना चाहतेहैं उसकी
लिस्ट बनायें और रोज रात को सोने से पहले उसे
एक बार अवश्य पढे़।
नया साल आपके जीवन में ढेर सारी खुसीयाँ लाये।

शुक्रवार, 21 नवंबर 2008

दुख से कैसे लडे़

जब हम दुखी होते हैं तो हमारा पेट अक्सर खराब हो जाता है।

जब हम दुखी होते हैं तो हमारे सोचने की छमता लगभग खत्म हो जाती है।

डाक्टर कैरेले के अनुसार "जो व्यक्ति दुख से लड़ना नहीं जानता वह जल्दी मर जाता है।"

ये कुछ कारण हैं कि क्यों हमें दुखी नहीं होना चाहिये।

दुख से बाहर निकलने के उपाय

दुखी होना या खुस होना हमारे दिमाग के सोचने के तरीके पर निर्भर करता है।

"मै दुखी था कि मेरे पास जूते नहीं हैं तभी मै देखता हूँ कि एक व्यक्ति
गा रहा है जबकि उसके पैर ही नहीं है।"

न्युटन का तृतीय नियम तो आप जानते ही होंगे प्रत्येक क्रिया की प्रतिक्रिया होती है अत: आज दुख है तो कल सुख भी होगा।

फिजिक्स में एन्टीकण के बारे में तो पढा़ ही होगा इलेक्ट्रान व पाजिट्रान एक दूसरे के एन्टीकण होते हैं ये एक साथ नहीं हो सकते।इसी तरह सुख व दुख भी एक साथ नहीं हो सकते अत: अब जब भी कभी आप दुखी होते हैं तो उस समय के बारे में सोचने लगिये जब आप खुस थे जैसे जब आप घूमने गये थे इत्यादि।आप का दुख छूमन्तर हो जायेगा।

शुक्रवार, 14 नवंबर 2008

मरफी के नियम

मरफी के नियम
ये मरफी महोदय कौन है ये तो मैं नहीं जानता पर इनके नियम बहुत मजेदार हैं।
कुछ भी अटपटा सा जो कि सत्य भी हो वो मरफी का नियम कहलाता है।इनके
कुछ नियम निम्न हैं-
• सिर्फ मरफी का नियम जानने से कुछ नहीं होता।
• मरफी़ का दर्शन-आज मुस्कुरा लो.........क्यों कि कल तो और भी बुरा होगा।
• बुरा होता है तो सब एक साथ होता है।
• मरफी़ का स्थिरांक-पदार्थ अपने मूल्य के सीधे अनुपात में क्षतिग्रस्त होता है।
• अपने बच्चों का जन्मदिन घर पर मनायें,ताकि उनके दोस्तों को देखकर आप ये जान सकें
कि आप के बच्चों से भी शैतान बच्चे इस दुनिया में होते हैं।
• मरफी के ब्लाग का नियम-आप सोचते हैं कि मेरे इस पोस्ट पे ढ़ेर सारे कमेन्ट
मिलेंगे तो उस पे कोई कमेन्ट नहीं मिलता इसका उल्टा भी सत्य है।
• अगर आप का दो रूपया खो गया है तो आप को दो रूपया ही मिलेगा ज्यादा मत खोजें।
• सभी चीजों का स्वाद एक जैसा होता है अच्छा या बुरा।
• यदि आप अपना प्रभाव बढ़ाने के लिये कुछ कहते हैं तो यकिन मानिये आपका प्रभाव कम होता है।

मंगलवार, 4 नवंबर 2008

काम की बातें

वह चादनी रातो मे सोयाउसने सुनहरी धूप का मजा उठायाकुछ करने की तैयारी मे जिन्दगी गुजार कर

वह गुजर गया कुछ न कर-हार कर (जेम्स अलबरी)

जो जरूरी है उससे शुरू करे,फिर जो मुमकिन है वह करे,और आप अचानक पाएगे कि आप नामुमकिन

काम भी करने लगे है।(सेन्ट फ़्रान्सिस)

सपने जरूर देखे क्योकि हर सपना लक्ष्य से पहले आता है (अज्ञात )

मुझे रास्ता जरूर मिलेगा यदि नही मिला तो मै अपना रास्ता ख़ुद बना लूंगा ( अज्ञात )

यदि आप वाकई कुछ चाहते है तो आप उसे प्राप्त करने की स्थितिया भी पैदा कर लेंगे (चेरे )

रविवार, 2 नवंबर 2008

हारने के लिये नहीं आया

मै तब तक जुटा रहूँगा जब तक

कि मै सफल ना हो जाऊँ,

मै इस संसार में हारने के लिये

नहीं आया हूँ,न ही मेरी शिराओं


में असफलता प्रवाहित हो रही है

मै कोई भेड़ नहीं जिसे कोई

गडेरिया


हाँके।मै एक शेर हूँ और मै भेड़ की

तरह चलने या बात करने से

इन्कार करता हूँ।