क्या आपके साथ ऐसा हुआ है कि दिन भर आप
कोइ गाना गुनगुना रहें हैं और जैसे ही साम को
आप अपना रेडियो खोलते हैं तो वही गाना रेडियो
पर आ रहा हो।मेरे साथ ऐसा कई बार हुआ है।
याद करिये जब आप छोटे थे और जब आप
क्रिकेट खेलते थे तो किसी महत्वपूर्ण मैच में
आप कुछ खास नहीं कर पाते थे।जबकि
प्रैक्टिस मैच में आप हरदम बढी़या खेलते थे।
जब आप स्कुल के दिनों में थे तो परीक्षक के सामने
आपकी कैसी घिग्घी बध जाती थीऔर आप उन प्रश्नों
के भी उत्तर नहीं बता पाते थे जो आप को अच्छे से याद होते थे।
क्या आपने ऐसा सोचा है कि ऐसा क्यों होता है?
अगली लाइन ध्यान से पढिये।
चाहे आप मुम्बई के हों चाहे बिहार के या
यूपी के या दिल्ली के या आप दुनिया
के किसी भी देश के हों।
हम सब एक ही नियम से काम कर रहें हैं।
उस नियम का नाम है "आकर्षण"।
आप के जीवन में जो कुछ भी हो रहा
है आप उसे आकर्षित कर रहें हैं।
चाहे रेडिओ पर गाना बजना हो या मैच में
खराब प्रदर्शन या परीछक के सामने हडबडाना।
आप दिन भर गाने के बारे में सोचते हैं और साम को रेडियो पर उसे आकर्षित कर लेते हैं।
क्या परीछक के सामने जाने से पहले आप ये नहीं सोचते कि कहीं मै ठीक से उत्तर ना दे पाउँ और आप इसी को आकर्षित कर लेते हैं मैच में भी यही होता है।
"यदि आप वाकई कुछ चाहते हैं तो उसे प्राप्त करने की स्थितियाँ भी पैदा कर लेगे"
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