गुरुवार, 26 फ़रवरी 2009

हर व्यक्ति अपने तरीके से सोचता

एक दिन सुबह सुबह एक पादरी ,एक डाक्टर व एक इंजीनियर गोल्फ के मैदान में जाते हैं
।उनसे पहले एक ग्रुप वहाँ था, जो थोडी़ धीमी गति से गोल्फ खेल रहा था।इंजीनियर बोला,ये बुद्धु लोग कौन हैं हम यहाँ पन्द्रह मिनट से प्रतिछा कर रहें हैं।डाक्टर बोला मैने ऐसा बेकार गोल्फ कभी नहीं देखा।पादरी बोला वह देखो मैदान का मालिक आ रहा है उससे पुछते हैं।उसने पुछा जार्ज ये ग्रुप इतना धीमें क्यों खेल रहा है।इनकी क्या समस्या है?
जार्ज ने उन्हें बताया कि यह नेत्रहीन ग्रुप है जिनकी आख इस गोल्फ क्लब को आग से बचाते समय चली गई।अत: हम इन्हें जितनी देर चाहे खेलने देते हैं।
सब लोग थोडी देर के लिये चुप हो जाते हैं।पादरी कहता है मै इनके लिये आज रात प्रार्थना करूगा।
डाक्टर बोला मै अपने डाक्टर मित्रों से इनके आँख के बारे में चर्चा करूगा।
इंजीनियर बोला यह लोग रात को क्यों नहीं खेलते।

किसी परिस्थिति पर हर व्यक्ति अपने तरीके से सोचता है।इंजीनियर यहाँ पर समस्या के समाधान के बारे में सोच रहा है।