जब हम दुखी होते हैं तो हमारा पेट अक्सर खराब हो जाता है।
जब हम दुखी होते हैं तो हमारे सोचने की छमता लगभग खत्म हो जाती है।
डाक्टर कैरेले के अनुसार "जो व्यक्ति दुख से लड़ना नहीं जानता वह जल्दी मर जाता है।"
ये कुछ कारण हैं कि क्यों हमें दुखी नहीं होना चाहिये।
दुख से बाहर निकलने के उपाय
दुखी होना या खुस होना हमारे दिमाग के सोचने के तरीके पर निर्भर करता है।
"मै दुखी था कि मेरे पास जूते नहीं हैं तभी मै देखता हूँ कि एक व्यक्ति
गा रहा है जबकि उसके पैर ही नहीं है।"
न्युटन का तृतीय नियम तो आप जानते ही होंगे प्रत्येक क्रिया की प्रतिक्रिया होती है अत: आज दुख है तो कल सुख भी होगा।
फिजिक्स में एन्टीकण के बारे में तो पढा़ ही होगा इलेक्ट्रान व पाजिट्रान एक दूसरे के एन्टीकण होते हैं ये एक साथ नहीं हो सकते।इसी तरह सुख व दुख भी एक साथ नहीं हो सकते अत: अब जब भी कभी आप दुखी होते हैं तो उस समय के बारे में सोचने लगिये जब आप खुस थे जैसे जब आप घूमने गये थे इत्यादि।आप का दुख छूमन्तर हो जायेगा।