गुरुवार, 17 जून 2010

पृथ्वी का भगवान

 भगवान हर वक्त
हमारे साथ नहीं रह
सकता न ,शायद इसी लिए उसने माँ बनाया
कभी कभी मै सोचता हूँ यदि पृथ्वी पर माँ नहीं होती तो क्या होता ?

सोमवार, 14 जून 2010

हराने से क्या हराना


दुनिया भर में ऐसे लाखो उदाहरण हैं जिनमे लोग हराने के बाद ही जीते हों |
जिस वर्ष कोक बाजार में उतरी थी उसके सिर्फ 400 बोतल बीके थे |
आइन्स्टीन की पी एच डी करने को अस्वीकृत  कर दिया गया था |
हेनरी फोर्ड दो बार दिवालिया घोषित किये गए थे|
,  रोडिन  को तीन बार आर्ट स्कूल में दाखिला नहीं मिला फिर भी वो महँ मूर्तिकार बने|
अब्राहन लिंकन सात बार चुनाव हारे|
ऐसे दुनिया भर में लाखो उदाहरण है |
इन सभी मामलों में अवरोध,निराशा,अस्वीकृति और असफल कोशिशे इन्हें रोक नहीं पाई|
इन लोगो ने विफलता को ही सफलता की सीढ़ी बनाया|
यही वो अंतर है जो साधारण को अशधारण बनता है|

शनिवार, 12 जून 2010

Ctrl+Alt+Del


सफलता के तीन नियम
Ctrl+Alt+Del
 (1) कंट्रोल योरसेल्फ
(2) लुक फॉर अल्टर नेटिव सोलुसन
(3)डीलिट द सिचुएसन विच गिव यू टेंसन
इन तीन नियमो का पालन करे व सफल हो
हम सब का जन्म सफल होने के लिए हुआ है

सोमवार, 31 मई 2010

इच्छा शक्ति की ताकत


"वे मेरी आत्मा नहीं काट सकते जब तक कि मै जिन्दा हूँ"
यह कथन था पंजाब के गायक बन्त सिंह का।
उनके हाथ पैर निर्दयता से काट डाले गये थे।
उनके आँखो के सामने ही उनकी नाबालिक लडकी के साथ रेप किया गया था।
इस ह्रदय द्रावक घटना ने उन्हें अपाहिज नहीं किया बल्कि,
ब्रिटेन ,अमेरिका व पूरे दक्षिण एशिया में लोगों को एकजुट कर दिया।
और इस घटना से गरीबों व असहायों को उनका मशीहा मिल गया।
उन्होंने कहा,"मेरे अंग काट दिए गये हैं पर मेरी जुबान कायम है और
 मै जब तक जिन्दा हूँ गरीबों व असहायों के लिए लडता रहूगाँ।

गुरुवार, 20 मई 2010

छोटी-छोटी मगर मोटी बातें



           एक
जब लोग आप की आलोचना कर रहें हों,
आप पर चिल्ला  रहे हो,या आप का दिल दुखा रहे हों
परेशान ना हो बस एक बात याद रखें
"हर खेल में दर्शक ऐसा ही करते हैं,लेकिन खिलाडी़ अपना काम करते रहते हैं"


            दो
दुनिया में हर काम के लिए दूसरा मौका अवश्य रहता है
लेकिन याद रखें,
"लेकिन दोबारा जीने का मौका नहीं मिलता,अपने जीवन का पूरा आनन्द उठाये"


                 तीन
Morning =more + inning
हर सुबह भगवान हमें अपने जीवन का एक और इनिंग खेलने का मौका देते हैं।क्यों ना इसे बेहतर तरीके से खेला जाए.............



                    चार
दुनिया में सबसे आसान क्या है और सबसे मुस्किल क्या?
आसान-दूसरो की गलती बताना।
मुस्किल-अपनी गलती मानना।

बुधवार, 19 मई 2010

दुनिया कि कोई ताकत सफल होने से नहीं रोक सकती


एक आदमी एक्कीस वर्ष की उम्र में ही मोटर न्यूरोन डिजीज का शिकार हो गया।यह लकवे से भी खतरनाक बिमारी है,इसमें शरीर का कोई अंग काम नहीं करता।वह आदमी तीस से अधिक वर्षों से लकवे से ग्रस्त रहता है।उसकी सिर्फ एक उँगली व दिमाग काम करत है।वह पिछले बीस वर्षों से बोल नहीं सकता।

अब एक दूसरे व्यक्ति की चर्चा करते हैं।वह विश्व का सबसे बडा़ ब्रह्नाण वैज्ञानिक है।उसे आईन्स्टीन के बाद अब तक का सबसे बडा़ वैज्ञानिक माना जाता है।वह कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में गणित का प्रोफेसर है।

आप जान कर हैरान होंगे कि दोनों व्यक्ति एक ही हैं स्टीफन हाकिंग।

अब तीसरे व्यक्ति की चर्चा।वह पृथ्वी पर स्थित छ: खरब लोगों से अलग व खास है।उसकी परिस्थितियाँ हाकिंग से लाख गुना बेहतर है।वह इस दुनिया में सफल होने के लिए आया है।
जब हाकिंग सफल हो सकते हैं,तो उसे दुनिया कि कोई ताकत सफल होने से नहीं रोक सकती।

वह तीसरे व्यक्ति आप हैं।
हम सब का जन्म सफल होने के लिए हुआ है।

सोमवार, 17 मई 2010

प्यारी माँ

प्यारी माँ

वक्त कितना बदल गया है
कल जब हम छोटे थे
और कोई हमारी बात
 नहीं समझता था
तब सिर्फ एक हस्ती थी जो
जो हमारे टूटे फूटे अल्फाज
भी समझ जाती थी
और आज हम उसी
हसती को कहते हैं
’आप नहीं जानती’
आप नहीं समझ पाएगीं
आप की बाते मुझे समझ नहीं आती
हो गई आप खुश
बडे़ शर्म की बात है
क्यों है ना?
,चलो उस हसती का सम्मान करें
जो है
’प्यारी माँ’

बुधवार, 12 मई 2010

बाकि लोग उन्हें भाग्यशाली मानते हैं।


एक रात बन्जारों का एक समूह सोने की तैयारी कर रहा था।तभी उनके चारो ओर एक दिव्य प्रकाश फैल गया।दिव्य प्रकाश से आवाज आई कि जितने पत्थर बीन सकते हो बीन लो और अगले दिन का इन्तजार करो।
अधिकतर बन्जारे इसे बकवास मानकर सो गये ,कुछ ने बेमन से पत्थर बटोरा कुछ एक  ने ढेर सारा पथर बटोरा।
अगले दिन सारे पत्थर हीरे बन गये।जिन्होने इसे बकवास माना वे कुछ समझ ही न पाये और जिन्होंने बेमन से थोडा पत्थर बटोरा था वो अब पछता रहे थे और जिन्होंने लगन से ढेर सारे पत्थर बटोरे थे उनको भाग्यसाली माना गया।

हम लोग भी इन्हीं तीन तरह के लोगों में बटे हुए हैं
१-अधिकतर ये समझ ही नहीं पाते क्या हो रहा है और क्या करना है।
२-कुछ लोग काम तो करते हैं लेकिन बेमन से और अपने भाग्य का रोना रोते हैं।
३-बहुत कम ही लोग हैं जो लगन से काम करते हैं और सफल होते हैं बाकि लोग उन्हें भाग्यशाली मानते हैं।

मंगलवार, 11 मई 2010

बहुत प्रभाव पडता है..........................


एक आदमी समुद्र के किनारे टहल रहा होता है।वह देखता है कि उससे दूर एक आदमी नीचे झुकता है फिर उठता है आगे बढता है फिर झुकता है फिर उठता है और यही काम बार-2 करता है।पहला आदमी तेजी से उसके पास जाता है और देखता है कि समुद्र की लहरों के साथ सैकडों मछलियाँ रेत पर किनारे आ जाती हैं और वह आदमी उनमें से एक को उठाता है और वापस समुद्र में फेंक देता है।
पहला मनुष्य हसता है और कहता है यहाँ तो सैकडो मछलियाँ एक बर मे किनारे आ जा रही हैं तुम्हारे ऐसा करने से क्या प्रभाव पडता है।वह आदमी फिर  एक मछली को उठाते हुए कहता है लेकिन इस एक मछली को तो बहुत प्रभाव पडता है..........................

सोमवार, 10 मई 2010

उसमे सिर्फ आप का ही दोस है


मै स्कूल में कुछ सब्जेक्ट में फेल हो गया ,लेकिन मेरे दोस्त हाई मार्क ले कर पास हो गये।
अब वे माइक्रोसाफ्ट कम्पनी मे काम करते है और मै उस कम्पनी का मालिक हूँ।              (बिल गेट्स)
अगर आप गरीब पैदा होते हैं तो उसमे आपका कोई दोस नहीं
लेकिन अगर आप गरीब मरते हैं तो उसमे सिर्फ आप का ही दोस है-बिल गेट्स

रविवार, 9 मई 2010

क्यों परेशानी गले लगाते हो


एक युद्ध की कहानी जो वियतनाम में लड़ा गया |युद्ध अब समाप्त हो गया था |एक सैनिक जो युद्ध में बुरी तरह जख्मी हो गया था |

वह घर लौटना चाहता है|पर पहले वह अपने घर फोन लगता है और अपने माता पिता से कहता है की वह घर आ रहा है |
उसके माता पिता बहुत खुस होते है|वह फिर कहता है की मेरे साथ मेरा दोस्त भी है |उसके माता पिता कहते है हां हां अवश्य लाओ|फिर सैनिक कहता है की दरअसल बात यह है की मेरा दोस्त युद्ध में अपना एक पैर व हाथ गवा चुका है|
अब उसके माता पिता कुछ देर के लिए चुप हो जाते है तथा कहते है की क्यों परेशानी गले लगाते हो उसे उसके घर जाने दो|
वह सैनिक फिर फोन रख देता है|कुछ देर तक वह सोचता है तथा दूसरी मंजिल से छलांग लगा देता है |दरअसल उसी का हाथ व पैर युद्ध में जख्मी हो गया था.......................................

शुक्रवार, 7 मई 2010

आप स्मार्ट व गरीबो के मददगार हो सकते हैं


क्या आप गरीबो की मदद करना चाहते हैं?
क्या आप भूखो को भोजन दिलाना चाहते है?
अगर हम सफल होना चाहते है तो पहले हमें दूसरों  को सफल करना होगा हम खुद ब खुद सफल हो जायेंगे
अब आप कहेंगे की हम कैसे दूसरों  की मदद कर सकते हैं जब हमारे पास ही पर्याप्त नहीं है|
तरीका मै बताता हूँ-
आप www.freerice.com पर जा के vocabulary गेम खेल सकते हैं|हर सही जवाब पर दस grain चावल गरीबो में वितरित कर दिया जाएगा|
यानी आपकी वर्ड मीनिंग भी बढ़ेगी  व आप खुद पर गर्व भी कर सकते हैं की मैंने गरीबो की मदद की 
हम सब का जन्म सफल होने के लिए हुआ है|
वार्निंग -इस साईट  पर जाकर आप स्मार्ट व गरीबो के मददगार हो सकते हैं|

बुधवार, 28 अप्रैल 2010

हम गमलों को नहीं बल्कि बच्चों को पाल रहे हैं।


मेरे पडोसी के दो बच्चे हैं,जिनकी उम्र पाँच व सात साल है।एक दिन मेरा पडोसी अपने बच्चों को टेनिस खेलना सिखा रहा था।फिर मेरा पडोसी पेपर पढने लगा व बच्चे आपस मे खेलने लगे।कुछ बात को लेकर दोनों में कहासुनी हुई तभी बडे लड़के ने छोटे को धक्का दे दिया और छोटा बच्चा फूलों के गमले पर गिर गया।और महगे गमले टूट गये।
मेरे पडोसी ने जब गमलों को देखा तो उसका संयम जवाब दे गया।वह उँची आवाज मे अपने बच्चों को डाटने लगा।पडोसी की पत्नि बाहर आई और पडोसी से बोली सान्त हो जायो और याद रखो हम गमलों को नहीं बल्कि बच्चों को पाल रहे हैं।

शनिवार, 24 अप्रैल 2010

गूगल महाराज की जय


क्या आप बैन्क पीओ,आई ए एस ,पी सी एस,बी एड इत्यादि की तैयारी कर रहें हैं?
क्या आप को जनरल नालेज याद करना मुस्किल लगता है?
यदि आप को रोजाना दो या तीन जी के के प्रश्न मोबाईल पर मिलें तो कैसा हो?
ये गूगल महाराज की वजह से सम्भव है।
आप को करना बस ये है
अपने मोबाईल के राइट मैसेज मे जाकर
step1- on bestgkbt [आन के बाद स्पेस रहेगा]
step2-9870807070 पेर सेन्ड कर दे आप का डेढ़ रू कट जाएगा फिर आपको रोजान दो या तीन प्रश्न फोन पर फ्री में मिलते रहेंगे

शुक्रवार, 23 अप्रैल 2010

मौत का शब्द बुजदिलों के किताब में होता है


नेपोलियन से एक बार पूछा गया अगर लडाई के मैदान में आपकी मौत हो गई तो क्या होगा?
इस पर नेपोलियन ने हसते हुए कहा,"मै नहीं जानता की मौत क्या होती है और  मौत किसे कहते हैं?मैने जिन्दगी की कहानी पढी है-उसमें मैने मनोबल से जीने के अलावा कुछ सीखा ही नहीं,फिर यह मौत क्या होती है?मौत का शब्द बुजदिलों के किताब में होता है।सुनने वाले भौच्चक्के रह गये।

बुधवार, 21 अप्रैल 2010

जस्ट डू इट


उस महिला की कहानी आपने सुना है क्या?
जिसे मिठाई से बडा प्रेम था।
उसने सोचा कि वह अपनी मिठाई,
उस दिन नहीं बल्कि अगले दिन खायेगी।
समस्या यह थी कि वह टाइटेनिक जहाज पर यात्रा कर रही थी।
जो उसी दिन डूब गया।

जो होता है अच्छे के लिए होता है


चीन के एक छोटे गाँव में एक बुद्धिमान पिता रहता था।
उसका बहुत सम्मान किया जाता था,उसकी बुद्धि की वजह से नहीं
बल्कि उसके पुत्र व उसके शक्तिशाली घोडे के कारण जो कि उसके पास था।
एक दिन उसका घोडा भाग गया।
उसके सारे पडोसी आये और बोले बडे दुख की बात है किस्मत ही खराब है।
पिता ने जवाब दिया इसे आप खराब किस्मत क्यों कह रहें हैं?
अगले दिन उसका घोडा कई और घोडो के साथ वापस आ गया।
उसके सारे पडोसी आये और बोले कितनी अच्छी किस्मत है।
पिता ने जवाब दिया इसे आप अच्छी किस्मत क्यों कह रहें हैं?
कुछ दिनो बाद उसका बेटा जब नये घोडे पर घुड़सवारी कर रहा था
तो वह गिर गया तथा उसका दाहिना हाथ टूट गया।
उसके सारे पडोसी फिर आये और बोले बडे दुख की बात है कितनी खराब किस्मत है।
इस पर समझदार पिता ने जवाब दिया ,"इसे आप खराब किस्मत क्यों कह रहें हैं?"
कुछ समय बाद दुष्ट सैनिक गाँव में आये और गाँव के सभी तन्दरूस्त नौजवानों को अपने साथ ले गये।
कुछ समय बाद खबर आई कि सभी नौजवान मारे गये।
जो होता है ,अच्छे के लिए होता है।

बुधवार, 14 अप्रैल 2010

अगर हम सफल होना चाहते हैं


जब हम जीतते हैं तो क्या करते हैं?
कुदते हैं ,चिल्लाते हैं ,खुस होते हैं ,पार्टी मनाते है..............
लेकिन जब हम हारते हैं तो क्या?
तो हमे और ज्यादा खुस होना चाहिए,क्यों?
क्योंकि हमने किसी और को खुस होने,कुदने ,पार्टी मनाने व चिल्लाने का मौका जो दिया है............हमारा एटीच्युड ऐसा ही होना चाहिए........
हम सब का जन्म सफल होने के लिए हुआ है.........................
अगर हम सफल होना चाहते हैं तो,हमें दूसरों को सफल होने में मदद करना चाहिए.................हम खुद ब खुद सफल हो जाएँगे...................

जूता



एक बार ट्रेन पर चढते समय गाँधी जी का जूता पटरी पर नीचे गिर गया।ट्रेन चलने लगी थी वे उसे उठा नहीं सकते थे।उन्होंने अपना दूसरा जूता निकाला व पहले वाले के पास फेंक दिया।यह देख बाकि यात्री हैरान रह गये।उनके सहयात्री ने जब इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा,"एक पैर का जूता मेरे लिए बेकार था अब कम से कम जिस गरीब को वो मिलेगा वह उसका प्रयोग तो कर लेगा"।

जिंदगी एक गीत है


जिंदगी एक गीत है -इसे गाओ
जिंदगी एक खेल है -इसे खेलो
जिंदगी एक चुनौती है - इसका सामना करो
जिंदगी एक सपना है -इसे साकार करो
जिंदगी एक त्याग है  -इसे कर दो
जिंदगी प्रेम है - इसका आनन्द लो
                        साईं बाबा

शनिवार, 10 अप्रैल 2010

मैदान छोड़ दो!हार मान लो! तुम हार चुके हो


"मैदान छोड़ दो!हार मान लो! तुम हार चुके हो!
वे मुझसे चिल्लाकर कह रहे थे और आग्रह कर रहे थे।
"अब तुम्हारे खिलाफ बहुत ज्यादा मुश्किलें हैं;
इस बार तुम सफल नहीं हो सकते!
    और जब मैने अपना सिर
    असफलता में झुकाया,
    तो एक दौड़ की याद ने
    मुझे नीचे गिरने से रोक दिया।
जब मैंने वह दृश्य याद किया,
तो मेरी कमजोर इच्छाशक्ति मजबूत बनने लगी;
क्योंकि उस छोटी सी दौड़ की याद भर से
मेरी आत्मा में स्फूर्ती दौड़ जाती है।

 

बच्चों की एक दौड़ थी
मुझे कितनी अच्छी तरह याद है।
रोमांच यकीनन!लेकिन डर भी था;
यह बताना मुश्किल नहीं था।
 

वे सब आशा से भरे लाइन में खडे थे
सभी के मन में सिर्फ दौड़ जीतने का विचार था।
या पहले नम्बर पर टाई करने का या अगर यह न हो सके,
तो कम से कम दूसरे नम्बर पर रहने का।
 

सभी के पिता बाहर से देख रहे थे
सभी अपने बेटे का हौसला बढा रहे थे।
हर लडका अपने पिता के सामने
दौड़ जीतकर दिखाना चाहता था।
 

सीटी बजी और वे दौड़ पडे।
छोटे दिल और आशाएँ सुलग रहे थे।
हर छोटे लड़के की इच्छा
जीतने और हीरो बनने की थी।
और एक लडके की खासकर,
जिसके डैडी भीड़ में थे।
वह सबसे आगे दौड़ रहा था और सोच रहा था:
"मेरे डैडी को बहुत गर्व होगा!"
लेकिन अब उसने तेजी से
एक ढ़लान पर दौड लगाई,
तो जीतने के बारे में सोचने वाला वह लडका
लडखडा गया और फिसल गया।
खुद को बचाने की कोशिश करते हुए
उसने अपने हाथ जमीन पर टेकने की कोशिश की,
लेकिन दर्शकों की हँसी के बीच
वह मुँह के बल जमीन पर गिर गया।
वह नीचे गिरा और उसकी उम्मीद भी
-वह अब जीत नहीं सकता-
शर्मिन्दा दुखी होकर वह सोच रहा था
काश वह गायब हो सकता।
लेकिन जब वह गिरा तो उसके डैडी उठकर खडे हुए
और लडके को उनका चिंतित चेहरा दिखा,
जो लड़्के से स्पष्टता से कह रहा था:
"उठो और दौड़ जीत लो"
वह जल्दी से उठा,कोई नुकसान नहीं हुआ था
-वह थोडा सा पिछे था,बस इतनी सी बात थी-
वह पूरी ताकत व मन से भागा,
ताकि गिरने की भरपाई कर सके।
वह आगे निकलने के बारे में इतना चिंतित था
-दूसरों से आगे निकलकर जीतने के लिए-
कि उसका मन उसके पैरों से तेज भागने लगा;
वह फिसल गया और दोबारा गिर गया।
उसने सोचा काश उसने वह दौड़ पहले ही छोड़ दी होती
एक ही अपमान के साथ।
"अब मै धावक के रूप में बेकार हूँ;
अब मुझे कभी दौडने की कोशिस नहीं करनी चाहिए।"
 

लेकिन उसने हँसती हुई भीड़ में देखा
और उसे वहाँ अपने पिता का चेहरा दिखा;
जिनका स्थाई भाव दोबारा कह रहा था:
"उठो और दौड़ जीत लो!"
 इसलिए वह दोबारा कोशिश करने के लिए उछला
-आखिरी धावक से दस गज पीछे-
 

"अगर मुझे इतने गज का फासला पाटना है,"उसने सोचा,
"तो मुझे बहुत तेज दौडना होगा।"
उसने पूरा दम लगा दिया
उसने आठ या दस को पार भी कर लिया,
 

लेकिन सबसे आगे निकलने की इतनी ज्यादा कोशिश में
वह एक बार और फिसला और गिर गया।
पराजय!वह यहाँ पर खामोशी से पडा रहा
-उसकी आँख से एक आँसू टपका-
"अब दौडने से कोई फायदा नहीं है-
 

तीन बार गिर चुका हूँ:अब मैं बाहर हूँ!कोशिश क्यों करूँ?"
उठने की इच्छा गायब हो गई थी;
सारी उम्मीद हवा हो गई थी;
इतना ज्यादा पीछे,इतनी गलतियाँ करने वाला:
पराजित।
 

"मै हार चुका हूँ,इसलिए क्या फायदा." उसने सोचा,
"मैं अपमान के साथ जी लूँगा।"
लेकिन फिर उसने अपने डैडी के बारे में सोचा,
जिनका उसे जल्द ही सामना करना पडेगा।
"उठ जाओ,"एक आवाज गूँजी।"उठ जाओ और अपनी जगह लो,
तुम यहाँ प असफल होने के लिए नहीं आये हो।
उठो और दौड़ जीत लो।
 

अपनी इच्छा सकती को जगाओ और उठ जाओ,
"तुम बिल्कुल भी नही हारे हो।
क्योंकि जीतने का मतलब यही है:
जब भी गिरो तो उठ कर खडे हो जाओ।"
 

इसलिए वह एक बार फिर भागने के लिए उठा
 और नये संकल्प के साथ
उस ने ठान लिया कि जीत हो या हार,
कम से कम वह मैदान नहीं छोडेगा।
 

अब वह दुसरों से बहुत पीछे था
-सबसे पीछे था-
लेकिन फिर भी उसने पूरी ताकत लगा दी,
और ऐसे दौडा जैसे जीतने के लिए दौड रहा है।
 

वह तीन बार गिरा था;
 तीन बार उठा था;
वह इतना ज्यादा पीछे था कि जीतने की कोई उम्मीद नहीं थी
फिर  भी वह आखिर तक दौडा।
 

दर्शकों ने विजेता धावक के लिए ताली बजाई,
जिसने रेखा को सबसे पहले पार किया।
सिर तना हुआ, गर्वीला और खुस;
न गिरा, न अपमान सहा।
 

लेकिन जब गिरे हुए बच्चे ने,
सबसे आखिर में लाईन पार की
तो दर्शकों ने उससे भी ज्यादा तालियाँ बजाई।
क्यों कि उसने दौड़ पूरी कर ली थी।
    

बुधवार, 7 अप्रैल 2010

दो भाई


दो भाई अपने खेत में एक साथ काम करते थे।उनमें से एक शादी-शुदा था और उसके बच्चे भी थे।दूसरा कुँआरा था।हर शाम को दोनो भाई फसल और मुनाफे को बराबर-बराबर बाटँ लेते थे।
फिर एक दिन छोटे भाई ने सोचा,"यह ठीक नहीं की फसल और मुनाफे में से बराबर हिस्सा लें।मैं अकेला हूँ और मेरी जरूरतें कम हैं ।इसलिए मेरे भाई को ज्यादा मिलना चाहिए"।हर रात वह अपने खेत से एक बोरा उठाता व अपने भाई के खेत में रख आता।
शादी शुदा भाई ने सोचा,"यह ठीक नहीं की दोनों भाई फसल और मुनाफे में से बराबर हिस्सा लें।मै शादी शुदा हूँ और मेरा देखभाल करने के लिए पत्नी व बच्चे हैं।मेरा छोटा भाई अकेला है उसे अधिक मिलना चाहिए।हर रात वह अपने खेत से एक बोरा उठाता व अपने भाई के खेत में रख आता।
दोनों भाई बरसों तक हैरान होते रहे कि उनके बोरे कम क्यों नहीं होते।एक रात को दोनों भाई आपस में टकरा जाते हैं और अपने बोरे पटककर एक दूसरे को गले लगा लेते हैं।

शनिवार, 3 अप्रैल 2010

हंसो को भी विज्ञान की जानकारी होती है


आपने हंसो को आकाश में उडते जरूर देखा होगा।
लेकिन क्या आपने गौर किया है कि वो अकसर,
वी शेप में उड़ते नजर आते है।ऐसा क्यो?
अगर आपने गौर किया हो तो शायद आप
को यह भी दिखा हो समूह में सबसे आगे वाले
हंस बराबर पंख चलाते हैं,उनके पीछे वाले नहीं।ऐसा क्यों?
और कुछ देर बाद आगे वाला हंस पीछे चला जाता है और
अब जो आगे होते हैं अब पंख चलाने की बारी उनकी है,यह क्रिया
निरन्तर चलती रहती है।ऐसा क्यो?
अब मै जो आपको बताने जा रहाँ हूँ उसे सुनकर चौंकिये नहीं।
हंसो को भी विज्ञान की जानकारी होती है।
आपने जहाज को देखा है ना वो भी तो वी शेप(v के आकार) का होता
 है क्योंकि इस शेप में हवा का घर्षण बहुत कम होता है।
क्यों अब आपका क्या कहना है?
अब बात दूसरे क्यों की।
अकसर हमें हमारे बुजुर्ग कहते हैं कि रेल के पास मत जाओ वो तुम्हें अपनी ओर खींच लेगा।
दर असल रेल हमें नहीं खींचता बल्कि हम खुद ब खुद उसकी ओर खिंच जाते हैं।
जब रेल तेजी से आती है तो उसके पास की वायु का वेग बहुत अधिक हो जाता है तथा वहाँ का दाब कम हो जाता है और हम अधिक दाब से कम दाब की ओर खिंच जाते हैं।आपने देखा होगा जब आँधी
आती है तो टिन सेड उड़ जाते हैं इसका भी यही कारण है।
आगे वाला हंस पंख चलाता है तो वहाँ का वेग बहुत अधिक हो जाता है और वहाँ दाब कम हो जाता है तथा वहाँ आंसिक निर्वात उत्पन्न हो जाता है और पीछे वाला हंस अपने आप आगे खिंच जाता है और इस तरह वे मीलों का सफर आसानी से कर सकते हैं।
 

उसके जैसा भाई


आफिस से बाहर आकर रवी अपनी फारारी की तरफ देखता है जो उसके भाई ने उसके बर्थ डे पर परसों ही गिफ्ट दिया है।वो सोचता है कि वो कितना खुश किसमत है जो उसको इतना प्यार करने वाला भाई मिला।तभी एक लड़के की आवाज से उसका ध्यान भंग हो जाता है।वो देखता है कि एक लडका जो देखने से ही गरीब दिख रहा है उससे कहता है क्यों साहब आज बहुत खुस दिख रहे हो।फिर लडका तपाक से उससे कहता है कि क्यों साहब क्या आप मुझे अपने कार में घुमायेंगे ?कोई और दिन होता तो रवी उसको मना कर देता लेकिन आज वो बहुत खुस था।
कुछ देर बाद रवी और लडका कार में थे।कुछ देर बाद लडका कहता है कि साहब क्या आप अपनी कार मेरे मुहल्ले से ले के चलेंगे?रवी भाँप जाता है कि लडका क्या चाहता है वो शायद अपने मुहल्ले वालों पर रोब डालना चाहता है।अब कार लडके के मुहल्ले में थी।
तभी लडका एक घर के सामने रूक कर कहता है,एक मिनट साब जाईयेगा नहीं मै अपने छोटे भाई को लेकर आता हूँ।और वह घर के अन्दर भाग जाता है।कुछ देर बाद वह घर से बाहर आता है उसके हाथ में उसका छोटा भाई होता है जो चल नहीं सकता है।उसको कार की तरफ इसारा करते हुए वह कहता है छोटे एक दिन मै तुझे भी इसी तरह की कार दुंगा शाहब से पूछ लो उनको ये कार इनके बडे भाई ने दिया है यह कह कर वह घर के अन्दर चला गया...................

बुधवार, 17 मार्च 2010

बचाने लायक जिन्दगी

एक बच्चा समुद्र में डूब रहा था।एक व्यक्ति ने अपनी जान जोखिम में डालकर तूफानी लहरों का सामना करते हुये उसे बचा लिया।जैसे ही बच्चा इस दहशत भरे अनुभव से उबरा, उसने उस आदमी से कहा,"मेरी जिंदगी बचाने के लिए धन्यवाद।"



उस आदमी ने लडके की आँखों में आँखे डालकर कहा," वह तो ठीक है ,बेटे।बस इतना ध्यान रखना कि तुम्हारी जिंदगी बचाने लायक थी।"

गुरुवार, 11 मार्च 2010

आप इंतजार क्यों कर रहे हैं...................

अगर हमें यह पता चले कि हमारे पास जिंदगी में सिर्फ पाँच ही मिनट बचे है, जिसमें हमे वह सब कहना है जो हम कहना चाहते हैं।तो दुनिया के हर टेलिफोन बूथ पर भीड़ लग जायेगी और लोग अटकते हुए दूसरों को फोन पर बताएँगे कि वे उन्हें प्यार करते थे।     
                 क्रिस्टोफर मोर्ली
अगर आप जल्दी ही मरने वाले हों और आपको सिर्फ एक फोन करने का समय मिले,तो आप किसे फोन करेंगे और आप क्या कहेंगे?और आप इंतजार क्यों कर रहे हैं...................                                 

   स्टीफन लेवाइन

बुधवार, 10 मार्च 2010

नजरें जमाये रहें अपने लक्ष्य पर





जब फ्लोरेंस चैडविक ने आगे देखा, तो उसे कोहरे के दिवार के सिवा कुछ नहीं दिखा।उसका शरीर शुन्न हो रहा था।वह लगभग सोलह घंटे से तैर रही थी।

वह इंग्लिश चैनल को दोनो दिशाओं में तैरकर पार करने वाली पहली महिला थी।अब उसका लक्ष्य यह था कि वह कैटेलिना आइसलैंड को तैर कर पार करे।

4 जुलाई 1952, की सुबह समुद्र बर्फ की तरह ठंडा था और कोहरा इतना घना कि उसे रक्षक नौकाएँ भी नहीं दिख रही थी।शार्क मछलियाँ तैरकर उसकी तरफ आ रही थी और राइफल की गोलियों के कारण ही वहाँ से भाग रहीं थी।
समुद्र की हाड़ कपा देने वाली ठंडी जकड़न में वह घंटो जुझती रही और लाखों लोग उसे टीवी पर देखते रहे।
उसका हिम्मत जवाब दे गया।उसे जब ये पता चला कि वो किनारे से सिर्फ आधा मील दूर थी उसे बहुत अफसोस हुआ।

फ्लोरेंस चैडविक इस लिए हारी क्योंकि कोहरे के कारण उसका लक्ष्य उसकी आखों से ओझल हो गया था।

उसने फिर कोशिश किया और वह  कैटेलिना आइसलैंड पार करने वाली पहली महिला बनी व उसने पुरूषों के रिकार्ड को दो घंटे से तोडा़।

गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010

अपने प्राइम टाईम में काम करें

टीवी पर प्राइम टाईम रात 8 से10 बजे तक होता है।इस समय प्रसारित होने वाले विज्ञापन सबसे महगे होते हैं।
इसी तरह हमारा भी एक प्राइम टाईम होता है जिस समय हमारी उर्जा सर्वाधिक होती है।
हम सभी लोग दो कटैगरी के होते है-
  1. डे बाडी क्लाक
  2. नाइट बाडी क्लाक
डे बाडी क्लाक वाले लोगो की उर्जा सुबह चार बजे से दोपहर तक अधिकतम होती है।
नाइट बाडी क्लाक वाले लोगो की उर्जा शाम से रात ग्यारह बजे तक अधिकतम होती है।
डे बाडी क्लाक वाले लोग शान्त स्वभाव के होते हैं।जैसे अटल जी,गाँधी जी
नाइट बाडी क्लाक वाले लोग उग्र स्वभाव के होते हैं।जैसे आड्वानी ,भगत सिंह
(इसीलिए इतिहास मे अधिकतर युद्ध आधी रात को शुरू हुये जबकि शान्ति समझौते दिन में)
हम कैसे जाने कि हम किस बाडी क्लाक के आदमी हैं?
आसान है हम एक हफ्ता दिन में व एक हफ्ता रात में काम करके देखें जब हमारी उर्जा अधिकतम हो
हम उसी बाडी क्लाक के आदमी हैं।
हम सब का जन्म सफल होने के लिए हुआ है

सनकी की तरह प्रतिबद्ध होकर जिएँ


जिन्दगी जीने का एक ही तरीका है कि उसे सनकी की तरह प्रतिबद्ध होकर जिएँ- एंजेलिना जौली
एक आदमी जीवन भर हारता रहा लेकिन भिर भी वह प्रयास करता रहा-लोगो ने उसे सनकी कहा
एक आदमी ने कहा कि पानी को बोतल में बन्द करके बेचा जाए-लोग हँसे उसे सनकी कहा
एक आदमी उडने के बारे में सोचता है लोग हसते हैं-असंभव सनकी कहीं का
एक आदमी पेट्रोल पंप पर काम करते हुए धनी होने का सपना देखता है-उसे भी लोग सनकी कहते हैं
इन लोगो में कुछ बाते कामन हैं चाहे वो अम्बानी हो या लिंकन या आइन्स्टीन
लोग उन्हे पहले सनकी समझते हैं।
ये लोग अपनी धुन के पक्के थे।
इन्होने लोगों की परवाह न की
ये सब लोग हमारे जैसे ही साधारण लोग थे
हम सब का जन्म सफल होने के लिए हुआ है।

सफलता के सात आध्यात्मिक नियम


जीवन में सफलता हासिल करने का वैसे तो कोई निश्चित फार्मूला नहीं है लेकिन मनुष्य सात आध्यात्मिक नियमों को अपनाकर कामयाबी के शिखर को छू सकता है।


ला जोला कैलीफोर्निया में “द चोपड़ा सेंटर फार वेल बीइंग” के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी डा.दीपक चोपड़ा ने अपनी पुस्तक “सफलता के सात आध्यात्मिक नियम” में सफलता के लिए जरूरी बातों का उल्लेख करते हुए बताया है कि कामयाबी हासिल करने के लिए अच्छा स्वास्थ्य, ऊर्जा, मानसिक स्थिरता, अच्छा बनने की समझ और मानसिक शांति आवश्यक है।

“एजलेस बाडी, टाइमलेस माइंड” और “क्वांटम हीलिंग” जैसी 26 लोकप्रिय पुस्तकों के लेखक डा.चोपड़ा के अनुसार सफलता हासिल करने के लिए व्यक्ति में विशुद्ध सामर्थ्य, दान, कर्म, अल्प प्रयास, उद्देश्य और इच्छा, अनासक्ति और धर्म का होना आवश्यक है।

पहला नियम:

विशुद्ध सामर्थ्य का पहला नियम इस तथ्य पर आधारित है कि व्यक्ति मूल रूप से विशुद्ध चेतना है, जो सभी संभावनाओं और असंख्य रचनात्मकताओं का कार्यक्षेत्र है। इस क्षेत्र तक पहुंचने का एक ही रास्ता है. प्रतिदिन मौन. ध्यान और अनिर्णय का अभ्यास करना। व्यक्ति को प्रतिदिन कुछ समय के लिए मौन.बोलने की प्रकिया से दूर. रहना चाहिए और दिन में दो बार आधे घंटे सुबह और आधे घंटे शाम अकेले बैठकर ध्यान लगाना चाहिए।

इसी के साथ उसे प्रतिदिन प्रकृति के साथ सम्पर्क स्थापित करना चाहिए और हर जैविक वस्तु की बौद्धिक शक्ति का चुपचाप अवलोकन करना चाहिए। शांत बैठकर सूर्यास्त देखें. समुद्र या लहरों की आवाज सुनें तथा फूलों की सुगंध को महसूस करें ।

विशुद्ध सामर्थ्य को पाने की एक अन्य विधि अनिर्णय का अभ्यास करना है। सही और गलत, अच्छे और बुरे के अनुसार वस्तुओं का निरंतर मूल्यांकन है –“निर्णय’ । व्यक्ति जब लगातार मूल्यांकन, वर्गीकरण और विश्लेषण में लगा रहता है, तो उसके अन्तर्मन में द्वंद्व उत्पन्न होने लगता है जो विशुद्ध सामर्थ्य और व्यक्ति के बीच ऊर्जा के प्रवाह को रोकने का काम करता है। चूंकि अनिर्णय की स्थिति दिमाग को शांति प्रदान करती है. इसलिए व्यक्ति को अनिर्णय का अभ्यास करना चाहिए। अपने दिन की शुरुआत इस वक्तव्य से करनी चाहिए- “आज जो कुछ भी घटेगा, उसके बारे में मैं कोई निर्णय नहीं लूंगा और पूरे दिन निर्णय न लेने का ध्यान रखूंगा।”

दूसरा नियम:


सफलता का दूसरा आध्यात्मिक नियम है.- देने का नियम। इसे लेन- देन का नियम भी कहा जा सकता है। पूरा गतिशील ब्रह्मांड विनियम पर ही आधारित है। लेना और देना- संसार में ऊर्जा प्रवाह के दो भिन्न- भिन्न पहलू हैं । व्यक्ति जो पाना चाहता है, उसे दूसरों को देने की तत्परता से संपूर्ण विश्व में जीवन का संचार करता रहता है।

देने के नियम का अभ्यास बहुत ही आसान है। यदि व्यक्ति खुश रहना चाहता है तो दूसरों को खुश रखे और यदि प्रेम पाना चाहता है तो दूसरों के प्रति प्रेम की भावना रखे।

यदि वह चाहता है कि कोई उसकी देखभाल और सराहना करे तो उसे भी दूसरों की देखभाल और सराहना करना सीखना चाहिए । यदि मनुष्य भौतिक सुख-समृद्धि हासिल करना चाहता है तो उसे दूसरों को भी भौतिक सुख- समृद्धि प्राप्त करने में मदद करनी चाहिए।

तीसरा नियम:

सफलता का तीसरा आध्यात्मिक नियम, कर्म का नियम है। कर्म में क्रिया और उसका परिणाम दोनों शामिल हैं। स्वामी विवेकानन्द ने कहा है- “कर्म मानव स्वतंत्रता की शाश्वत घोषणा है.. हमारे विचार, शब्द और कर्म. वे धागे हैं, जिनसे हम अपने चारों ओर एक जाल बुन लेते हैं। .. वर्तमान में जो कुछ भी घट रहा है. वह व्यक्ति को पसंद हो या नापसंद, उसी के चयनों का परिणाम है जो उसने कभी पहले किये होते हैं।

कर्म, कारण और प्रभाव के नियम पर इन बातों पर ध्यान देकर आसानी से अमल किया जा सकता है... आज से मैं हर चुनाव का साक्षी रहूंगा और इन चुनावों के प्रति पूर्णतः साक्षीत्व को अपनी चेतन जागरूकता तक ले जाऊंगा। जब भी मैं चुनाव करूंगा तो स्वयं से दो प्रश्न पूछूंगा.. जो चुनाव मैं करने जा रहा हूं. उसके नतीजे क्या होंगे और क्या यह चुनाव मेरे और इससे प्रभावित होने वाले लोगों के लिए लाभदायक और इच्छा की पूर्ति करने वाला होगा। यदि चुनाव की अनुभूति सुखद है तो मैं यथाशीघ्र वह काम करूंगा लेकिन यदि अनुभूति दुखद होगी तो मैं रुककर अंतर्मन में अपने कर्म के परिणामों पर एक नजर डालूंगा। इस प्रकार मैं अपने तथा मेरे आसपास के जो लोग हैं. उनके लिए सही निर्णय लेने में सक्षम हो सकूंगा।.

चौथा नियम:

सफलता का चौथा नियम “अल्प प्रयास का नियम” है। यह नियम इस तथ्य पर आधारित है कि प्रकृति प्रयत्न रहित सरलता और अत्यधिक आजादी से काम करती है। यही अल्प प्रयास यानी विरोध रहित प्रयास का नियम है।

प्रकृति के काम पर ध्यान देने पर पता चलता है कि उसमें सब कुछ सहजता से गतिमान है। घास उगने की कोशिश नहीं करती, स्वयं उग आती है। मछलियां तैरने की कोशिश नहीं करतीं, खुद तैरने लगती हैं, फूल खिलने की कोशिश नहीं करते, खुद खिलने लगते हैं और पक्षी उडने की कोशिश किए बिना स्वयं ही उडते हैं। यह उनकी स्वाभाविक प्रकृति है। इसी तरह मनुष्य की प्रकृति है कि वह अपने सपनों को बिना किसी कठिन प्रयास के भौतिक रूप दे सकता है।

मनुष्य के भीतर कहीं हल्का सा विचार छिपा रहता है जो बिना किसी प्रयास के मूर्त रूप ले लेता है। इसी को सामान्यतः चमत्कार कहते हैं लेकिन वास्तव में यह अल्प प्रयास का नियम है। अल्प प्रयास के नियम का जीवन में आसानी से पालन करने के लिए इन बातों पर ध्यान देना होगा..- मैं स्वीकृति का अभ्यास करूंगा। आज से मैं घटनाओं, स्थितियों, परिस्थितियों और लोगों को जैसे हैं. वैसे ही स्वीकार करूंगा, उन्हें अपनी इच्छा के अनुसार ढालने की कोशिश नहीं करूंगा। मैं यह जान लूंगा कि यह क्षण जैसा है, वैसा ही होना था क्योंकि सम्पूर्ण ब्रह्मांड ऐसा ही है । मैं इस क्षण का विरोध करके पूरे ब्रह्मांड से संघर्ष नहीं करूंगा, मेरी स्वीकृति पूर्ण होगी। मैं उन स्थितियों का, जिन्हें मैं समस्या समझ रहा था, उनका उत्तरदायित्व स्वयं पर लूंगा। किसी दूसरे को अपनी स्थिति के लिए दोषी नहीं ठहराऊंगा। मैं यह समझूंगा कि प्रत्येक समस्या में सुअवसर छिपा है और यही सावधानी मुझे जीवन में स्थितियों का लाभ उठाकर भविष्य संवारने का मौका देगी।.. ..मेरी आज की जागृति आगे चलकर रक्षाहीनता में बदल जाएगी। मुझे अपने विचारों का पक्ष लेने की कोई जरूरत नहीं पडेगी। अपने विचारों को दूसरों पर थोपने की जरूरत भी महसूस नहीं होगी । मैं सभी विचारों के लिए अपने आपको स्वतंत्र रखूंगा ताकि एक विचार से बंधा नहीं रहूं। ..


पांचवा नियम:

सफलता का पांचवां आध्यात्मिक नियम “उद्देश्य और इच्छा का नियम” बताया गया है। यह नियम इस तथ्य पर आधारित है कि प्रकृति में ऊर्जा और ज्ञान हर जगह विद्यमान है। सत्य तो यह है कि क्वांटम क्षेत्र में ऊर्जा और ज्ञान के अलावा और कुछ है ही नहीं। यह क्षेत्र विशुद्ध चेतना और सामर्थ्य का ही दूसरा रूप है. जो उद्देश्य और इच्छा से प्रभावित रहता है।

ऋग्वेद में उल्लेख है.. प्रारंभ में सिर्फ इच्छा ही थी जो मस्तिष्क का प्रथम बीज थी। मुनियों ने अपने मन पर ध्यान केन्द्रित किया और उन्हें अर्न्तज्ञान प्राप्त हुआ कि प्रकट और अप्रकट एक ही है। उद्देश्य और इच्छा के नियम का पालन करने के लिए व्यक्ति को इन बातों पर ध्यान देना होगा.. उसे अपनी सभी इच्छाओं को त्यागकर उन्हें रचना के गर्त के हवाले करना होगा और विश्वास कायम रखना होगा कि यदि इच्छा पूरी नहीं होती है तो उसके पीछे भी कोई उचित कारण होगा । हो सकता है कि प्रकृति ने उसके लिए इससे भी अधिक कुछ सोच रखा हो। व्यक्ति को अपने प्रत्येक कर्म में वर्तमान के प्रति सतर्कता का अभ्यास करना होगा और उसे ज्यों का त्यों स्वीकार करना होगा लेकिन उसे साथ ही अपने भविष्य को उपयुक्त इच्छाओं ओर दृढ उद्देश्यों से संवारना होगा।

छठवां नियम:

सफलता का छठा आध्यात्मिक नियम अनासक्ति का नियम है। इस नियम के अनुसार व्यक्ति को भौतिक संसार में कुछ भी प्राप्त करने के लिए वस्तुओं के प्रति मोह त्यागना होगा। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि वह अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए अपने उद्देश्यों को ही छोड दे । उसे केवल परिणाम के प्रति मोह को त्यागना है। व्यक्ति जैसे ही परिणाम के प्रति मोह छोड देता है. उसी वह अपने एकमात्र उद्देश्य को अनासक्ति से जोड लेता है। तब वह जो कुछ भी चाहता है. उसे स्वयमेव मिल जाता है।

अनासक्ति के नियम का पालन करने के लिए निम्न बातों पर ध्यान देना होगा.. आज मैं अनासक्त रहने का वायदा करता हूं। मैं स्वयं को तथा आसपास के लोगों को पूर्ण रूप से स्वतंत्र रहने की आजादी दूंगा। चीजों को कैसा होना चाहिए. इस विषय पर भी अपनी राय किसी पर थोपूंगा नहीं। मैं जबरदस्ती समस्याओं के समाधान खोजकर नयी समस्याओं को जन्म नहीं दूंगा। मैं चीजों को अनासक्त भाव से लूंगा। सब कुछ जितना अनिश्चित होगा. मैं उतना ही अधिक सुरक्षित महसूस करूंगा क्योंकि अनिश्चितता ही मेरे लिए स्वतंत्रता का मार्ग सिद्ध होगी। अनिश्चितता को समझते हुए मैं अपनी सुरक्षा की खोज करूंगा।..


सातवां नियम:


सफलता का सातवां आध्यात्मिक नियम. धर्म का नियम. है। संस्कृत में धर्म का शाब्दिक अर्थ..जीवन का उद्देश्य बताया गया है। धर्म या जीवन के उद्देश्य का जीवन में आसानी से पालन करने के लिए व्यक्ति को इन विचारों पर ध्यान देना होगा॥ ..मैं अपनी असाधारण योग्यताओं की सूची तैयार करूंगा और फिर इस असाधारण योग्यता को व्यक्त करने के लिए किए जाने वाले उपायों की भी सूची बनाऊंगा। अपनी योग्यता को पहचानकर उसका इस्तेमाल मानव कल्याण के लिए करूंगा और समय की सीमा से परे होकर अपने जीवन के साथ दूसरों के जीवन को भी सुख।समृद्धि से भर दूंगा। हर दिन खुद से पूछूंगा..मैं दूसरों का सहायक कैसे बनूं और किस प्रकार मैं दूसरों की सहायता कर सकता हूं। इन प्रश्नों के उत्तरों की सहायता से मैं मानव मात्र की प्रेमपूर्वक सेवा करूंगा।..

हम सब का जन्म सफल होने के लिए हुआ है

शुक्रवार, 15 जनवरी 2010