बुधवार, 12 मई 2010
बाकि लोग उन्हें भाग्यशाली मानते हैं।
एक रात बन्जारों का एक समूह सोने की तैयारी कर रहा था।तभी उनके चारो ओर एक दिव्य प्रकाश फैल गया।दिव्य प्रकाश से आवाज आई कि जितने पत्थर बीन सकते हो बीन लो और अगले दिन का इन्तजार करो।
अधिकतर बन्जारे इसे बकवास मानकर सो गये ,कुछ ने बेमन से पत्थर बटोरा कुछ एक ने ढेर सारा पथर बटोरा।
अगले दिन सारे पत्थर हीरे बन गये।जिन्होने इसे बकवास माना वे कुछ समझ ही न पाये और जिन्होंने बेमन से थोडा पत्थर बटोरा था वो अब पछता रहे थे और जिन्होंने लगन से ढेर सारे पत्थर बटोरे थे उनको भाग्यसाली माना गया।
हम लोग भी इन्हीं तीन तरह के लोगों में बटे हुए हैं
१-अधिकतर ये समझ ही नहीं पाते क्या हो रहा है और क्या करना है।
२-कुछ लोग काम तो करते हैं लेकिन बेमन से और अपने भाग्य का रोना रोते हैं।
३-बहुत कम ही लोग हैं जो लगन से काम करते हैं और सफल होते हैं बाकि लोग उन्हें भाग्यशाली मानते हैं।
लेबल:
पत्थर,
बन्जारों,
भाग्यशाली,
prashant adarsh,
prashant karunesh
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आज के परिवेश पर सटीक और प्रेरक रचना
जवाब देंहटाएंप्रणाम
वाह !
जवाब देंहटाएंसोने की तैयारी के बीच जागने का संदेश है दिव्य प्रकाश। यही सकारात्मकता है। बाकी दिव्य प्रकाश , पत्थर बटोरना और उनका हीरा हो जाना,एक ढंग है कहने का ... गीता का दर्शन है कि .....कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन